Budget 2022: कोरोना ने बढ़ाया इंश्योरेंस का महत्व, जानिए इंश्योरेंस कंपनियों की बजट से क्या हैं उम्मीदें


नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, मंगलवार को देश का आम बजट (Budget 2022) पेश करेंगी. सभी को इंतजार है कि इस बार के बजट में वित्त मंत्री क्या ऐलान करती हैं. अलग-अलग सेक्टर अपनी-अपनी मांगों को रख रहे हैं. इस बीच इंश्योरेंस कंपनियों ने मांग की है कि लाइफ इंश्योरेंस के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत एक अलग डिडक्शन लिमिट तय की जानी चाहिए.

टैक्सपेयर्स के लिए मेडिकल क्लेम लिमिट में बढ़ोतरी की मांग
बोनांजा इंश्योरेंस ब्रोकर के अभिषेक मिश्रा ने कहा कि मेडिकल साइंस में पिछले कुछ सालों के दौरान काफी प्रगति हुई है लेकिन इसके साथ ही इलाज के खर्च में भी तेज बढ़ोतरी हुई है जिसको ध्यान में रखते हुए सीनियर सिटीजन सहित सभी वर्ग के टैक्सपेयर्स के लिए मेडिकल क्लेम लिमिट में बढ़ोतरी करना जरुरी है.

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80C के तहत अलग डिडक्शन होने से इंश्योरेंस में होगा विस्तार
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत कई निवेश विकल्पों के आने के चलते छोटे इन्वेस्टमेंट नजरिए वाले लोग अक्सर लाइफ इंश्योरेंस की उपेक्षा कर देते हैं जो कि एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है. लाइफ इंश्योरेंस के लिए सेक्शन 80C के तहत अलग डिडक्शन निर्धारित होने से देश में इंश्योरेंस कल्चर के विस्तार में काफी सहायता मिलेगी.

टैक्स डिडक्शन लिमिट को बढ़ाने की मांग
प्रोबस इंश्‍योरेंस के डायरेक्‍टर राकेश गोयल कहते हैं कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80D के तहत कोई इडिविजुअल अपने और अपने परिवार के लिए मेडिकल क्लेम प्रीमियम पर 25 हजार रुपये के डिडक्शन का क्लेम कर सकता है. इस लिमिट को बढ़ाकर 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार रुपये किया जाना चाहिए. मेडिकल खर्च में आ रही बढ़ोतरी और गंभीर बीमारियों के बढ़ते मामलों की वजह से लो इनकम ग्रुप के लिए इस तरह की छूट की जरुरत है. टैक्स डिडक्शन लिमिट में बढ़ोतरी से देश में हेल्थ इंश्योरेंस लेने वालों की संख्या में बढ़ोतरी होगी.

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देश में जीडीपी की 4.2 फीसदी है इंश्योरेंस लेने की दर
गौरतलब है कि इंश्योरेंस रेगुलेटर आईआरडीएआई (IRDAI) की वार्षिक रिपोर्ट 2020-21 के मुताबिक देश में इंश्योरेंस लेने की दर जीडीपी की 4.2 फीसदी है जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 7.4 फीसदी है. मार्च 2021 तक नॉन-लाइफ इंश्योरेंस लेने की दर बमुश्किल एक फीसदी थी.

Tags: Budget, Insurance

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