CGHS: 34 लाख केंद्रीय कर्मियों को इलाज में नहीं होगी दिक्कत, ऐसे मिलेगा सामान्य या प्राइवेट वार्ड


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– फोटो : Agency (File Photo)

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केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना यानी ‘सीजीएचएस’ कार्ड धारकों को इलाज में अब दिक्कत नहीं आएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक, कर्मियों और पेंशनरों के बढ़े हुए वेतनमानों के तहत इलाज के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। विभिन्न अस्पतालों में कर्मियों को उनकी बेसिक सेलरी के अनुसार, सामान्य, सेमी-प्राइवेट या प्राइवेट वार्ड की सुविधा मिलेगी।

स्वास्थ्य मंत्रालय के ईएचएस सेक्शन द्वारा 28 अक्तूबर को जारी निर्देशों के अनुसार, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत जिन कर्मियों का वेतन बढ़ा है, अस्पतालों में उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में भी अब इजाफा किया जा रहा है। जिन कार्मिकों की बेसिक सेलरी 36500 रुपये है, वे सामान्य वार्ड के लिए हकदार होंगे। ऐसे कार्मिक, जिन्हें 36501 रुपये मूल वेतन मिलता है, वे अस्पताल के सेमी-प्राइवेट वार्ड के हकदार होंगे। इन दो श्रेणियों के अलावा एक तीसरी श्रेणी भी रखी गई है। इसमें वे कार्मिक शामिल हैं, जिनका मूल वेतन 50500 से ज्यादा है, उन्हें प्राइवेट वार्ड मुहैया कराया जाएगा।

सीजीएचएस योजना के अंतर्गत सरकारी कर्मचारियों को अस्पताल में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती है। कर्मियों को अस्पताल का बिल या फिर महंगी दवा, इसके लिए अपनी जेब से खर्च नहीं करना पड़ता। मौजूदा समय में देशभर के लगभग 72 शहरों में यह सुविधा उपलब्ध है। इस योजना का लाभ केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को भी मिलता है। कार्ड धारक व्यक्ति किसी भी सीजीएचएस सेंटर-सूचीबद्ध अस्पताल में कैशलेस इलाज प्राप्त कर सकता है। कोई भी अस्पताल, आपात स्थिति में किसी सीजीएचएस लाभार्थी को प्रवेश देने से इनकार नहीं कर सकता। गैर-सूचीबद्ध अस्पतालों या डायग्नोस्टिक सेंटर पर उपचार होता है, तो उसके लिए रीइंबर्समेंट प्राप्त करने की छूट दी गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा समय-समय पर सूचीबद्ध अस्पतालों द्वारा दी जा रही सुविधाओं की जांच पड़ताल की जाती है। सूचीबद्ध अस्पतालों की सूची हर साल अपडेट होती रहती है। अगर कोई सूचीबद्ध अस्पताल, केंद्र सरकार के नियमों का उल्लंघन करता है, कार्ड धारक के इलाज में ना-नुकर करता है या इलाज और जांच के लिए पैसे मांगता है, ऐसी शिकायतों के मामले में अस्पतालों पर कार्रवाई की जाती है। ऐसे अस्पतालों को सीजीएचएस सूचीबद्ध अस्पतालों की लिस्ट से बाहर कर दिया जाता है।

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केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना यानी ‘सीजीएचएस’ कार्ड धारकों को इलाज में अब दिक्कत नहीं आएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक, कर्मियों और पेंशनरों के बढ़े हुए वेतनमानों के तहत इलाज के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। विभिन्न अस्पतालों में कर्मियों को उनकी बेसिक सेलरी के अनुसार, सामान्य, सेमी-प्राइवेट या प्राइवेट वार्ड की सुविधा मिलेगी।

स्वास्थ्य मंत्रालय के ईएचएस सेक्शन द्वारा 28 अक्तूबर को जारी निर्देशों के अनुसार, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत जिन कर्मियों का वेतन बढ़ा है, अस्पतालों में उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में भी अब इजाफा किया जा रहा है। जिन कार्मिकों की बेसिक सेलरी 36500 रुपये है, वे सामान्य वार्ड के लिए हकदार होंगे। ऐसे कार्मिक, जिन्हें 36501 रुपये मूल वेतन मिलता है, वे अस्पताल के सेमी-प्राइवेट वार्ड के हकदार होंगे। इन दो श्रेणियों के अलावा एक तीसरी श्रेणी भी रखी गई है। इसमें वे कार्मिक शामिल हैं, जिनका मूल वेतन 50500 से ज्यादा है, उन्हें प्राइवेट वार्ड मुहैया कराया जाएगा।

सीजीएचएस योजना के अंतर्गत सरकारी कर्मचारियों को अस्पताल में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती है। कर्मियों को अस्पताल का बिल या फिर महंगी दवा, इसके लिए अपनी जेब से खर्च नहीं करना पड़ता। मौजूदा समय में देशभर के लगभग 72 शहरों में यह सुविधा उपलब्ध है। इस योजना का लाभ केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को भी मिलता है। कार्ड धारक व्यक्ति किसी भी सीजीएचएस सेंटर-सूचीबद्ध अस्पताल में कैशलेस इलाज प्राप्त कर सकता है। कोई भी अस्पताल, आपात स्थिति में किसी सीजीएचएस लाभार्थी को प्रवेश देने से इनकार नहीं कर सकता। गैर-सूचीबद्ध अस्पतालों या डायग्नोस्टिक सेंटर पर उपचार होता है, तो उसके लिए रीइंबर्समेंट प्राप्त करने की छूट दी गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा समय-समय पर सूचीबद्ध अस्पतालों द्वारा दी जा रही सुविधाओं की जांच पड़ताल की जाती है। सूचीबद्ध अस्पतालों की सूची हर साल अपडेट होती रहती है। अगर कोई सूचीबद्ध अस्पताल, केंद्र सरकार के नियमों का उल्लंघन करता है, कार्ड धारक के इलाज में ना-नुकर करता है या इलाज और जांच के लिए पैसे मांगता है, ऐसी शिकायतों के मामले में अस्पतालों पर कार्रवाई की जाती है। ऐसे अस्पतालों को सीजीएचएस सूचीबद्ध अस्पतालों की लिस्ट से बाहर कर दिया जाता है।





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