Exclusive! Aashram 3 से बदली भोपा बाबा बने चंदन रॉय सान्‍याल की ज‍िंदगी! हीरो बनने को लेकर ये बोले एक्टर


‘आश्रम 3’ (Aashram 3) को अडियंस से लेकर क्रिटिक्स तक को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. काशीपुर वाले बाबा के किरदार में जितना लोग बॉबी देओल को पसंद कर रहे हैं, उतना ही उनके अस्सिटेंट भोपा बाबा को भी लोगों से प्यार मिल रहा है. सीरीज में भोपा बाबा का किरदार चंदन रॉय सान्याल (Chandan Roy Sanyal Interview) ने निभाया है. न्यूज 18 इंडिया से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने अपने किरदार और लोगों से मिल रहे प्यार पर बात की. उन्होंने बताया कि कैसे उनके फैंस उनके पास आकर हाथ जोड़ते हैं और जपनाम जपनाम कहते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि इस सीजन में उन्होंने पिछले सीजन से अलग करने की कोशिश की.

कई फिल्मों में काम करने के बाद चंदन रॉय सान्याल (Chandan Roy Sanyal) को ‘आश्रम’ से पॉपुलैरिटी मिली है. उनसे जब पूछा गया कि ‘आश्रम’ से उनकी लाइफ में कितना बदलाव आया है? इस पर उन्होंने कहा,”वेब सीरीज ने महामारी के मेरे कुलीग और दोस्तों को नया स्फूर्ति और हवा दी. फिल्मों में जो भी किरदार मिलता था, उसे मैं करता था. लेकिन बेव सीरीज से एक मास अपील मिली, जो एक अभिनेता को जीवन में चाहिए होता है.”

फिल्मों में पोस्टर के पीछे, यहां पोस्टर पर: चंदन

चंदन रॉय सान्याल ने आगे कहा, “फिल्मों में आप पोस्टर के पीछे होते हैं, लेकिन यहां पर आप पोस्टर पर हैं. फिल्मों में आप पर्दे पर ही जाकर किसी को डिस्कवर कर पाते थे, उससे पहले किसी अभिनेता को यह मौका नहीं मिलता था. वो चीदें काफी बदली हैं, जिसे मैं काफी एन्जॉय भी कर रहा हूं. मैं पहले भी जो रोल कर रहा था, उसी जान और फूर्ती के साथ इसमें भी डाला. शायद ये विधि का विधान था कि ये इतनी बड़ी हिट गई और लोगों ने भोपा बाबा को सराहा.”

चंदन रॉय का कहना है कि ‘आश्रम 3’ सीजन और ऊपर जाने वाला है. उन्होंने नेगेटिव किरदार निभाने और हीरो बनने से जुड़े एक सवाल पर भी जवाब दिया. उन्होंने कहा,”मेरा कभी भी ऋतिक रोशन जैसा बनने का सपना नहीं था. मैं दिल्ली से ही हूं. पहले में किरोड़ीमल में था. फिर जाकिर हुसै से पढ़ाई की. मैथ्स हॉनर्स. उस दौरान में भगवान दास रोड, श्रीराम सेंटर, त्रिवेणी कला संगम, मैं इन सबके बहुत चक्कर काटता था, नॉलेज गेन करने के लिए.”

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स्टेज पर जो भी रोल मिले उसे करना चाहिए

चंदन सान्याल ने आगे कहा,”जब रंग महोत्सव होता था, तो मैं 10 रुपए की टिकट लेकर बहुत सारे नाटक देखता था. बहुत बड़े बड़े कलाकार आते थे. मैंने थिएटर सीखना दिल्ली में शुरू किया. मेरी शुरुआत बहुत अच्छी थी. मेरे गुरु थे हबीब तनवीर साहब, उन्होंने मुझे अभिनय कला के बारे में जो बताया, तब मुझे लगा कि अभिनेता को स्टेज पर जो भी रोल मिले उसे करना चाहिए. मेरे दूसरे गुरु ने बताई थी कि कोई भी किरदार चुनो उसमें तुम्हें सारे रंग बिखेरने हैं. तो मुझे जो भी रोल मिलते गए मैं उसे उसी हिसाब से करता गया. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मुझे हीरो ही बनना है या विलेन बनना है. मैं करता गया.”

इस अंधविश्वास को मानते थे चंदन

इसके अलावा उन्होंने अपने बचपन का अंधिविश्वास से जुड़ा किस्सा बताया. हालांकि उन्होंने कहा कि वह इसमें विश्वास नहीं करते है लेकिन स्वीट मेमॉरी के तौर पर याद करते हैं. उन्होंने बताया कि जब वह छोटे थे उनकी मां कहती थी उनकी मां का कहना था कि जब खूब बारिश हो, तो घर में रखी झाड़ू को उल्टा कर दो बारिश रुक जाएगी. लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं.

Tags: Aashram, Chandan Roy Sanyal

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