राष्ट्रद्रोह पर सुनवाई : जवाब के लिए केंद्र को नौ मई तक मोहलत, एजी ने किया हनुमान चालीसा पढ़ने पर गिरफ्तारी का जिक्र


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Thu, 05 May 2022 11:39 AM IST

सार

एजी ने कहा कि राष्ट्रद्रोह कानून को लेकर व्यापक गाइड लाइन की जरूरत है। इस कानून को खारिज नहीं किया जाना चाहिए। 

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गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आगे सुनवाई हुई। इस दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा का पाठ करने पर गिरफ्तारी किए जाने पर शीर्ष कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया। 
एजी वेणुगोपाल ने पीठासीन जजों से कहा कि देश में क्या चल रहा है, यह कल आपने देखा होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रद्रोह कानून को लेकर व्यापक गाइड लाइन की जरूरत है। इस कानून को खारिज नहीं किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान एजी ने महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा का पाठ करने पर राष्ट्रद्रोह के तहत गिरफ्तारी व बाद में जमानत पर रिहाई (राणा दंपती के केस) का भी जिक्र किया।

जवाब देने के लिए मांगा वक्त
राष्ट्रद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है। इस पर एजी ने कहा कि वकीलों ने इसका प्रारूप तैयार कर लिया है। इसे दाखिल किए जाने के पूर्व सक्षम अधिकारियों से मंजूरी लेना है। सरकार जवाब दाखिल करे तब तक सुनवाई स्थगित कर दी जाए। 

10 मई को होगी जिरह
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए 9 मई तक का वक्त दे दिया। 10 मई को शीर्ष कोर्ट भादंवि की धारा 124 ए के तहत आने वाले राष्ट्रद्रोह की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ को भेजा जाना चाहिए या नहीं? 

विस्तार

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आगे सुनवाई हुई। इस दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा का पाठ करने पर गिरफ्तारी किए जाने पर शीर्ष कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया। 

एजी वेणुगोपाल ने पीठासीन जजों से कहा कि देश में क्या चल रहा है, यह कल आपने देखा होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रद्रोह कानून को लेकर व्यापक गाइड लाइन की जरूरत है। इस कानून को खारिज नहीं किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान एजी ने महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा का पाठ करने पर राष्ट्रद्रोह के तहत गिरफ्तारी व बाद में जमानत पर रिहाई (राणा दंपती के केस) का भी जिक्र किया।

जवाब देने के लिए मांगा वक्त

राष्ट्रद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है। इस पर एजी ने कहा कि वकीलों ने इसका प्रारूप तैयार कर लिया है। इसे दाखिल किए जाने के पूर्व सक्षम अधिकारियों से मंजूरी लेना है। सरकार जवाब दाखिल करे तब तक सुनवाई स्थगित कर दी जाए। 

10 मई को होगी जिरह

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए 9 मई तक का वक्त दे दिया। 10 मई को शीर्ष कोर्ट भादंवि की धारा 124 ए के तहत आने वाले राष्ट्रद्रोह की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी पीठ को भेजा जाना चाहिए या नहीं? 



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