मजीठिया ने छोड़ा मजीठा हलका: सिर्फ अमृतसर पूर्वी से चुनाव लड़ेंगे बिक्रम मजीठिया, पत्नी ने भरा नामांकन


संवाद न्यूज एजेंसी, अमृतसर (पंजाब)
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Mon, 31 Jan 2022 05:12 PM IST

सार

बिक्रम मजीठिया ने तीन दिन पहले मजीठा से अपना नामांकन पत्र भरा था, जिसे अभी तक उन्होंने वापस नहीं लिया, जिसमें गनी मजीठिया अपने पति की कवरिंग उम्मीदवार हैं।  

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वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम मजीठिया ने पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू की चुनौती स्वीकार कर ली है। वे अब केवल विधानसभा हलका अमृतसर पूर्वी से ही चुनाव लड़ेंगे। बिक्रम मजीठिया के मजीठा हलका छोड़ने पर उनकी पत्नी गनी मजीठिया ने सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है।  

गनी ने मजीठा के तहसीलदार के समक्ष पेश होकर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। वे मजीठिया के निजी सहायक मेजर शिवी के साथ तहसीलदार के सामने पहुंचीं। करीब 7 से 8 मिनट अंदर बिताने के बाद वे फौरन वहां से रवाना हो गईं। इस दौरान उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी और पत्रकारों के सवालों का जवाब भी नहीं दिया। वैसे तीन दिन पहले मजीठिया ने यहां से अपना नामांकन पत्र भरा था, जिसे अभी तक उन्होंने वापस नहीं लिया, जिसमें गनी मजीठिया अपने पति की कवरिंग उम्मीदवार हैं।  

आप उम्मीदवार की पत्नी ने कसा तंज

दूसरी तरफ मजीठिया की पत्नी द्वारा नामांकन भरने के बाद आम आदमी पार्टी के मजीठा से उम्मीदवार सुखजिंदर राज सिंह लाली की पत्नी सतिंदरपाल कौर ने कहा कि अगर गनी मजीठिया चुनाव मैदान में उतरती हैं, तो उन्हें हलके की उन माताओं की सुध जरूर लेनी चाहिए, जिनके पुत्र चिट्टे की भेंट चढ़ गए। अगर गनी हलके में लोगों के बीच जाती हैं तो उन्हें अपने पति के कारनामों के बारे में जरूर पता चलेगा।

रविवार को मजीठिया ने दिया था सिद्धू की चुनौती मानने का संकेत

अमृतसर पूर्वी विधानसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी बिक्रम सिंह मजीठिया ने रविवार को नवजोत सिंह सिद्धू की तरफ से उन्हें एक ही सीट से चुनाव लड़ने की चुनौती पर कहा था कि कोई बात नहीं अभी दो दिन बचे हैं। मैं उनकी यह इच्छा भी पूरी कर दूंगा या फिर सिद्धू मजीठा में उनके सामने आ जाएं। उन्होंने कहा कि मजीठा विधानसभा सीट के साथ-साथ पूर्वी हलके की भी मेरी जिम्मेदारी है। छोड़ूंगा किसी हलके को भी नहीं। 

मजीठिया ने कहा कि मेरी अपनी बहन से भी बनती है और पत्नी के साथ भी। मेरा लंबा-चौड़ा परिवार है और हलका भी मेरा परिवार है। उन्होंने कहा कि मैं सिद्धू की तरह अहंकारी नहीं हूं। इस हलके के लोग दबाव बना रहे हैं पूर्वी हलके से चुनाव लड़ने के लिए। इस हलके में इज्जत और विकास की लड़ाई है। 

विस्तार

वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम मजीठिया ने पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू की चुनौती स्वीकार कर ली है। वे अब केवल विधानसभा हलका अमृतसर पूर्वी से ही चुनाव लड़ेंगे। बिक्रम मजीठिया के मजीठा हलका छोड़ने पर उनकी पत्नी गनी मजीठिया ने सोमवार को अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है।  

गनी ने मजीठा के तहसीलदार के समक्ष पेश होकर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। वे मजीठिया के निजी सहायक मेजर शिवी के साथ तहसीलदार के सामने पहुंचीं। करीब 7 से 8 मिनट अंदर बिताने के बाद वे फौरन वहां से रवाना हो गईं। इस दौरान उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी और पत्रकारों के सवालों का जवाब भी नहीं दिया। वैसे तीन दिन पहले मजीठिया ने यहां से अपना नामांकन पत्र भरा था, जिसे अभी तक उन्होंने वापस नहीं लिया, जिसमें गनी मजीठिया अपने पति की कवरिंग उम्मीदवार हैं।  

आप उम्मीदवार की पत्नी ने कसा तंज

दूसरी तरफ मजीठिया की पत्नी द्वारा नामांकन भरने के बाद आम आदमी पार्टी के मजीठा से उम्मीदवार सुखजिंदर राज सिंह लाली की पत्नी सतिंदरपाल कौर ने कहा कि अगर गनी मजीठिया चुनाव मैदान में उतरती हैं, तो उन्हें हलके की उन माताओं की सुध जरूर लेनी चाहिए, जिनके पुत्र चिट्टे की भेंट चढ़ गए। अगर गनी हलके में लोगों के बीच जाती हैं तो उन्हें अपने पति के कारनामों के बारे में जरूर पता चलेगा।

रविवार को मजीठिया ने दिया था सिद्धू की चुनौती मानने का संकेत

अमृतसर पूर्वी विधानसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी बिक्रम सिंह मजीठिया ने रविवार को नवजोत सिंह सिद्धू की तरफ से उन्हें एक ही सीट से चुनाव लड़ने की चुनौती पर कहा था कि कोई बात नहीं अभी दो दिन बचे हैं। मैं उनकी यह इच्छा भी पूरी कर दूंगा या फिर सिद्धू मजीठा में उनके सामने आ जाएं। उन्होंने कहा कि मजीठा विधानसभा सीट के साथ-साथ पूर्वी हलके की भी मेरी जिम्मेदारी है। छोड़ूंगा किसी हलके को भी नहीं। 

मजीठिया ने कहा कि मेरी अपनी बहन से भी बनती है और पत्नी के साथ भी। मेरा लंबा-चौड़ा परिवार है और हलका भी मेरा परिवार है। उन्होंने कहा कि मैं सिद्धू की तरह अहंकारी नहीं हूं। इस हलके के लोग दबाव बना रहे हैं पूर्वी हलके से चुनाव लड़ने के लिए। इस हलके में इज्जत और विकास की लड़ाई है। 

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