मूवी रिव्‍यू: मेजर


पर्दे पर आपने लाख हीरो और उनकी हीरोइज्म देखी हो, लेकिन अपने देश और लोगों के लिए लड़ते हुए जान न्योछावर कर देने वाले असल जिंदगी के सुपर हीरोज की कहानी देखना एक अलग ही भावनात्मक अहसास और गर्व के जज्बे से भर देता है। 26/11 के खौफनाक मुंबई हमले में शहीद हुए 51 एनएसजी के बहादुर जवान मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की जिंदगी पर बनी फिल्म मेजर (Major Movie Review) भी कुछ ऐसा ही अहसास जगाती है। बचपन से ही सेना में जाने और देश की सेवा करने का सपना देखने वाले मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की बहादुरी, उनका देश को सबसे ऊपर रखने और एक सच्चे सोल्जर के कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए जान दे देने का जज्बा रोंगटे खड़ा कर देता है।

तेलुगु युवा स्टार अदिवि शेष की लिखी और मुख्य भूमिका वाली ये फिल्म निश्चित तौर मेजर संदीप को एक ईमानदार श्रद्धांजलि है कि कैसे एक सोल्जर देश को अपने परिवार, प्यार, रिश्तों सबसे ऊपर रखता है। शशि किरण टिक्का निर्देशित यह फिल्म अंत में आपको भावुक होने पर मजबूर कर देती है। खासकर सेकंड हाफ का मुंबई के ताज हमले का घटनाक्रम बहुत ही सशक्त है। मेजर के रूप में अदिवि शेष की मेहनत साफ दिखती है। उन्होंने बेहद संजीदगी से उन्हें पर्दे पर जिया है। सुनील रॉड्रिक्स के निर्देशन में कई ऐक्शन सीन शानदार हैं। 26 नंवबर 2008 की वो काली रात पूरे देश के लिए एक डरावने सपने जैसी थी, जिसे पर्दे पर देखकर वे मंजर याद आ जाते हैं। वामसी पैचीपुलुसु की सिनेमटोग्राफी की इससे लिए तारीफ करनी होगी।


हालांकि, फिल्म के फर्स्ट हॉफ में बेहतरी की काफी गुंजाइश रह गई है। ये हिस्सा मेजर के व्यापक व्यक्तित्व, उनके आर्मी जॉइन करने से मेजर बनने तक के सफर को दिखाने में नाकाफी साबित होता है। इसमें मेजर संदीप के बचपन, मां (रेवती) और पिता (प्रकाश राज) से रिश्ता, स्कूल में ईशा (साई मांजरेकर) से प्यार, एनडीए में ट्रेनिंग पर जोर है। लेकिन मेजर के सेना को लेकर जुनून के बारे में जो किस्से मशहूर हैं, जैसे कक्षा छह में ही उन्होंने अपने बाल आर्मी कट कटा लिए थे, वे खेल में बहुत ऐक्टिव थे। आर्मी जॉइन करने के बाद 26/11 के ऑपरेशन ब्लैक टॉरनैडो से पहले वे कारगिल में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन पराक्रम, ऑपरेशन रक्षक जैसे कई मिशन का हिस्सा रहे, जिसके बारे में फिल्म में कोई जिक्र नहीं है। इसे रेफरेंस के तौर पर शामिल किया जा सकता था। लेकिन कहानी मुंबई पहुंचने के बाद सारी कमियां पूरी कर देती है। ऐक्टिंग के मामले में अदिवि के अलावा, संदीप के माता-पिता के रूप में प्रकाश राज और रेवती प्रभावित करते हैं। वहीं, साईं और शोभिता भी अपने किरदार के साथ न्याय करती हैं। फिल्म का एक गाना ओ ईशा अच्छा बन पड़ा है। ऐसे में, मेजर संदीप को सलामी देती ये फिल्म एक बार जरूर देखी जा सकती है।

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