हाइलाइट्स
पंजाबी साहित्य समुदाय के पाकिस्तान स्थित संगठन पंजाबी विरसा ने की घोषणा
डॉ सुरजीत सिंह पातर, दिवंगत सिंगर सिद्धू मूसेवाला, हरजिंदर पाल को मिलेगा सम्मान
प्रसिद्ध सूफी कवि वारिस शाह की रचनाएं भारत और पाकिस्तान में प्रसिद्ध
एस. सिंह
चंडीगढ़. पंजाबी साहित्य समुदाय के पाकिस्तान स्थित संगठन पंजाबी विरसा ने तीन भारतीय हस्तियों कवि डॉ सुरजीत सिंह पातर, दिवंगत गायक शुभदीप सिंह उर्फ सिद्धू मूसेवाला और लेखक हरजिंदर पाल उर्फ जिंदर को ‘वारिस शाह इंटरनेशनल अवार्ड’ से एक समारोह में सम्मानित करने का फैसला किया है.
प्रसिद्ध सूफी कवि वारिस शाह की रचनाएं भारत और पाकिस्तान दोनों में प्रसिद्ध हैं. उन्हें अपनी क्लासिक रोमांटिक गाथा ‘हीर रांझा’ के लिए जाना जाता है, जो 250 वर्षों के बाद भी एक उत्कृष्ट कृति है. 1766 में शाह द्वारा लिखे गए पाठ के 630 श्लोकों में अविभाजित पंजाब की एक युवा महिला थी, जो रांझा के लिए अपने प्यार के लिए खड़ी रही और मर गई. कवि वारिस शाह का जन्म 1722 में शेखपुरा (अब पाकिस्तान में) के जंडियाला शेर खान में हुआ था, उनकी 300 वीं जयंती मनाने के लिए रविवार को कई देशों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
दूसरी बार भारतीयों को मिलेगा अवार्ड
पाकिस्तान के एक प्रसिद्ध पंजाबी लेखक और वारिस शाह इंटरनेशनल अवार्ड कमेटी के अध्यक्ष इलियास घुम्मन ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक बयान में कहा है कि साल 2000 में महान कवयित्री अमृता प्रीतम के बाद दूसरी बार यह पुरस्कार भारतीय हस्तियों को प्रदान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सिद्धू मूसेवाला को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया जाएगा.
जिंदर एक पंजाबी लघु कथाकार
उन्होंने कहा कि हमने इस पुरस्कार की शुरुआत 2000 में मुख्य रूप से पंजाबी लेखकों और साहित्यकारों के लिए की थी, जिनकी रचनाएं पंजाबी संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देती हैं, लेकिन मूसेवाला इस सम्मान के लिए चुने जाने वाले पहले गायक हैं. जालंधर के रहने वाले हरजिंदर पाल उर्फ जिंदर एक पंजाबी लघु कथाकार हैं, जिन्हें शमुखी से लेकर पंजाबी भाषा की गुरुमुखी लिपि में कई पाकिस्तानी साहित्यिक कृतियों का अनुवाद करने के लिए भी जाना जाता है. लुधियाना के पद्म श्री कवि डॉ सुरजीत पातर आत्मा को झकझोर देने वाली कविताओं के लिए जाने जाते हैं. वह वर्तमान में पंजाब कला परिषद के प्रमुख हैं.
अवार्ड के लिए क्यों चुना मूसेवाला का नाम
वारिस शाह जहां दोनों देशों में शांति और प्रेम का संदेश फैलाने के लिए जाने जाते हैं, वहीं मूसेवाला पर अपने गीतों में बंदूक संस्कृति और हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था. इस विरोधाभास पर घुम्मन ने कहा कि यह मुद्दा उनके नाम का चयन करने से पहले हमारी समिति में चर्चा के लिए आया था लेकिन यह सहमति हुई थी कि मूसेवाला ने पंजाबी भाषा और पंजाबी समुदाय के मुद्दों को बढ़ावा देने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी. उन्हें पाकिस्तान के युवा आइकॉन मानते हैं. उन्होंने कहा कि पंजाबी भाषा को अभी भी वह सम्मान नहीं मिला है जिसके वह हकदार है.
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Tags: Pakistan, Sidhu Moose Wala
FIRST PUBLISHED : July 23, 2022, 20:55 IST