पटना रिमांड होम केस: हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, पुलिस-समाज कल्याण विभाग को लगाई फटकार


(ऋतु रोहिणी)

पटना. पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने गायघाट महिला रिमांड होम मामले (Patna Remand Home Case) में स्वत: संज्ञान (Suo Moto) लिया है. अदालत ने पुलिस और राज्य समाज कल्याण विभाग (Social Welfare Department) को जमकर लताड़ लगाई है. कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया और पूछा कि मामला सामने आने के बाद भी पीड़िता के बयान पर अभी तक कोई प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज क्यों नहीं की गई. वहीं, इससे एक दिन पहले समाज कल्याण विभाग द्वारा महिला रिमांड होम को लेकर आरोप लगाने वाली युवती के ‘कैरेक्टर’ पर सवाल उठाया था.

समाज कल्याण विभाग ने महिला रिमांड होम से फरार होने वाली युवती को ‘उद्दंड और झगड़ालू’ बताया था और उसके द्वारा बनाई गई वीडियो की पुष्टि से भी इनकार किया था.

हाईकोर्ट ने इसको लेकर मीडिया में आई रिपोर्ट के आधार पर स्‍वत: संज्ञान लेते हुए पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए हैं. अदालत ने गायघाट महिला रिमांड होम में रहने वाली दो सौ से ज्यादा महिलाओं के ऊपर मंडराते खतरे को देख कर इस मामले में संज्ञान लिया है. कोर्ट की ओर से जुविनाइल जस्टिस की कमेटी को बुलाया गया और राज्य समाज कल्‍याण विभाग को डांट लगाते हुए कहा कि केवल सीसीटीवी फुटेज के आधार पर युवती के लगाए आरोपों को बेबुनियाद कैसे बताया जा सकता है.

पीड़िता ने वीडियो बना कर बताया महिला रिमांड होम का ‘काला सच’

बता दें कि गायघाट स्थित महिला रिमांड होम से फरार होने वाली एक युवती ने यहां की सुपरिटेंडेंट वंदना गुप्ता और व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इससे समाज कल्याण विभाग में खलबली मच गई थी. बीते रविवार को सोशल मीडिया पर लगभग तीन मिनट का एक वीडियो सामने आया था जिसमें युवती ने महिला रिमांड होम को लेकर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए थे. उसने कहा कि यहां गंदा काम होता है. रिमांड होम की खूबसूरत लड़‍कियां मैम (अधीक्षिका वंदना गुप्ता) को प्‍यारी होती हैं. वीडियो में युवती ने अधीक्षिका के ऊपर लड़कियों के शारीरिक व मानसिक शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं.

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Tags: Bihar News in hindi, Crime News, Patna high court, Social Welfare

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