डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, नासा कई साल से इस रिसर्च को सपोर्ट कर रही है। अप्रैल में अंतरिक्ष एजेंसी ने सर्जिकल रोबोट तैयार करने के लिए यूनिवर्सिटी को 100,000 डॉलर का पुरस्कार दिया था। रोबोट को तैयार करने वाले प्रोफेसर शेन फरिटर ने कहा है कि नासा इस रिसर्च का लंबी समय से समर्थक रही है। इसी वजह से हमारे रोबोट को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर उड़ान भरने का मौका मिलेगा।
MIRA का वजन सिर्फ दो पाउंड है। यह एक लंबा रोबोटिक सिलेंडर है। चलने में मदद के लिए उसके नीचे दो मूवेबल प्रोंग लगे हैं। हरेक प्रोंग के आखिर में दो छोटे टूल्स मौजूद हैं। इनमें से एक चीजों को पकड़ता है और दूसरा उन्हें काटने का काम करता है। इन्हीं टूल्स की मदद से रोबोट सर्जरी करेगा। हालांकि इससे जुड़े सेफ्टी के काम पूरे किए जाने बाकी हैं।
फिलहाल इन टूल्स को ऑपरेट करते हुए इंसानी मदद ली जाती है, लेकिन भविष्य में यह काम पूरी तरह से रोबोट द्वारा कराए जाने की तैयारी है। प्रोफेसर फरिटर ने कहा कि स्पेस से जुड़े मिशन लंबे हो रहे हैं। जैसे-जैसे लोग अंतरिक्ष में और गहराई तक जा रहे हैं, उन्हें किसी दिन अंतरिक्ष में ही सर्जरी की जरूरत हो सकती है। हम उसी लक्ष्य की ओर काम कर रहे हैं।
अंतरिक्ष स्टेशन पर अपनी यात्रा के दौरान MIRA डॉक्टर या अंतरिक्ष यात्रियों के मार्गदर्शन के बिना काम करेगा। हालांकि यह अंतरिक्ष यात्रियों के आसपास नहीं होगा। टेस्टिंग के दौरान यह माइक्रोवेव ओवन के आकार वाले लॉकर के अंदर अपना परीक्षण पूरा करेगा। इस मिशन का एक मकसद जीरो ग्रैविटी में रोबोट के ऑपरेशन को बेहतर करना भी है।