शक्तिशाली अभ्‍यास है सूर्य नमस्‍कार, शरीर में वायू प्रवाह को रखता है बेहतर


Yoga Session With Savita Yadav : सूर्य नमस्‍कार एक शक्तिशाली अभ्‍यास है जिसे अगर नियमित तौर पर किया जाए तो शारीरिक और मानसिक रूप से काफी फायदा मिलता है. हालांकि, इसे करते वक्‍त काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है. अगर आप सूर्य नमस्‍कार पहली बार कर रहे हैं या बिगनर हैं तो आप शुरू में इसके 5 चक्र कर सकते हैं और फिर अभ्‍यास के साथ चक्रों की गिनती बढ़ा सकते हैं. अभ्‍यास के दौरान अपनी आती-जाती सांस का विशेष ध्‍यान रखना जरूरी होता है. ऐसा करने से शरीर के अलग-अलग भागों में प्राण वायु का बेहतर तरीके से संचार होता है ताकि शरीर में जहां-जहां भी वायु अवरोध हो या ऑक्‍सीजन की मात्रा नहीं पहुंच पा रही हो, उन जगहों तक भी प्राण वायु आसानी से पहुंच सके.

सांसों का विशेष ध्‍यान रखते हुए योगा करने से प्राणायाम का अभ्‍यास भी साथ में होता जाता है. आज न्यूज़18 हिंदी के फेसबुक लाइव सेशन में योग प्रशिक्षिका साविता यादव (Savita Yadav) ने सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) का अभ्‍यास कराया और अभ्‍यास के दौरान इसके महत्‍व को भी समझाया.

इस तरह करें शुरुआत
मैट पर कमर और गर्दन को सीधी रखें और ध्‍यान की मुद्रा में बैठें. आंखें बंद करें और गहरी सांस लें. बेहतर तरीके से इन्‍हेल और एक्‍हेल करें. अब ओम का उच्‍चारण करें और प्रार्थना करें.

वार्मअप करें
अपने मैट पर खड़े हो जाएं. पैरों को मजबूत बनाने के लिए पहले एड़ी को उठाएं और फिर पंजे को उठाएं. यह 30 चक्र पूरे करें. अब कुछ देर पंजों के बल चलें और एड़ी से पीछे की तरफ चलें. अब कदम ताल करें और अच्‍छी तरह से इन्‍हेल और एक्‍स्‍हेल करें. जब थक जाएं तो खड़े होकर गहरी सांस लें और छोड़ें. बॉडी को स्‍ट्रेच करने के लिए अब ताड़ासन की मुद्रा में खड़े हो जाएं. विस्‍तार से देखने के लिए आप इस विडियो पर क्लिक करें.

सूर्य नमस्‍कार करने का तरीका
अगर आप किसी तरह की शारीरिक समस्‍या से जूझ रहे हैं या कोविड से रिकवर कर रहे हैं तो बिना डॉक्‍टर की सलाह के ना करें.

प्रणामासन (Pranamasana)
अपने अपने मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और अपने हाथों को प्रणाम की मुद्रा में रखें. प्रणाम की मुद्रा में सूर्य का ध्‍यान करें. इस दौरान अपनी कमर गर्दन सीधी रखें और हाथों को अपने सीने के पास रखें.

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हस्तउत्तनासन (Hasta Uttanasana)
गहरी सांस भरें और अपने दोनों हाथों को कान से सटाते हुए सिर के ऊपर ले जाएं. अब अपने हाथों को प्रणाम करने की मुद्रा में ही पीछे की तरफ हल्‍का झुकाते हुए ले जाएं.

पादहस्तासन (Padahastasana)
धीरे-धीरे सांस छोड़ें और आगे की ओर झुकते हुए अपने हाथों से पैरों की उंगलियों को छुएं. इस मुद्रा में आपका सिर घुटनों से मिलना चाहिए.

अश्व संचालनासन (Ashwa Sanchalanasana)
सांस लेते हुए दाहिने पैर पीछे की ओर ले जाएं. इस पैर का घुटना जमीन से छूना है. इस दौरान दूसरे पैर को मोड़ें. अपनी हथेलियों को जमीन पर सीधा रखें और ऊपर सिर रखकर सामने की ओर देखें.

दंडासन (Dandasana)
सांस छोड़ते हुए अपने दोनों हाथों और पैरों को सीधा और एक ही लाइन में रखें. इसके बाद पुश-अप करने की अवस्था में आ जाएं.

अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara)
सांस लेते हुए अपनी हथेलियों, चेस्ट, घुटनों और पैरों को जमीन से सटाएं. अब इस अवस्था में कुछ क्षण रहें.

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भुजंगासन (Bhujangasana)
अब सांस छोड़ते हुए इस अभ्यास के लिए अपनी हथेलियों को जमीन पर रखें और नाभी तक शरीर के आगे के हिस्‍से को उठाएं और पेट को जमीन से सटाकर रखें, गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं.

पर्वतासन अथवा अधोमुख शवासन (Adho Mukha Svanasana)
अधोमुख शवासन के लिए अपने पैरों को जमीन पर सीधा रखें. अब कूल्हे को ऊपर की ओर उठा लें. अपने कंधों को सीधा रखें और मुंह को अंदर की तरफ रखें. इसके बाद अश्व संचालनासन, पादहस्तासन, हस्तउत्तनासन और प्रणामासन करें.

इन बातों का रखें ध्‍यान
सूर्यनमस्‍कार हमेशा अपनी क्षमता के अनुसार ही करें. इस दौरान श्वास-प्रश्वास और व्यायाम से जुड़े विशेष नियमों का पालन करें. शुरू में धीमी गति से इसका अभ्‍यास शुरू करें और धीरे-धीरे गति बढ़ाएं. सांस पर विशेष ध्‍यान दें.

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