संकट: बिजली इंजीनियरों का संगठन बोला- मंत्रालयों के बीच तालमेल के अभाव से हुई कोयले की कमी, राहुल ने कहा- पीएम को जनता की चिंता नहीं


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Fri, 29 Apr 2022 08:37 PM IST

सार

एआईपीईएफ के प्रवक्ता वीके गुप्ता ने कहा कि अब उन्होंने (केंद्र सरकार के मंत्रालयों ने) इस मुद्दे को दूसरा रुख दे दिया है और इसे राज्यों की कोयला कंपनियों को समय पर भुगतान करने में असमर्थता से जोड़ा है।

गहराने लगा बिजली का संकट

गहराने लगा बिजली का संकट
– फोटो : istock

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विस्तार

बिजली इंजीनियरों के संगठन ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने शुक्रवार को दावा किया कि रेलवे और विद्युत मंत्रालय के बीच तालमेल के अभाव से संयंत्रों में कोयले की कमी हुई। एआईपीईएफ ने एक बयान में कहा, ‘‘कोयले की कमी के कारण देशभर में बिजली कटौती की वजह कोयला मंत्रालय, रेल मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय के बीच तालमेल की कमी है। हर मंत्रालय दावा कर रहा है कि वे बिजली क्षेत्र में मौजूदा गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।’’ 

इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी विद्युत संकट को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, “20 अप्रैल 2022 को मैंने मोदी सरकार से कहा था कि नफ़रत का बुलडोज़र चलाना बंद करें और देश के बिजली संयंत्र शुरू करें। आज कोयला और बिजली संकट से पूरे देश में त्राहि-त्राहि मची है।’’

राहुल ने आगे कहा, ‘‘फिर कह रहा हूं – यह संकट छोटे उद्योगों को ख़त्म कर देगा, जिससे बेरोज़गारी और बढ़ेगी। छोटे बच्चे इस भीषण गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर सकते। अस्पतालों में भर्ती मरीजों की ज़िंदगी दांव पर है। रेल, मेट्रो सेवा ठप होने से आर्थिक नुकसान होगा।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए सवाल किया, ‘‘मोदी जी, आपको देश और जनता की फिक्र नहीं है क्या?’’

इससे पहले एआईपीईएफ के प्रवक्ता वीके गुप्ता ने कहा कि अब उन्होंने (केंद्र सरकार के मंत्रालयों ने) इस मुद्दे को दूसरा रुख दे दिया है और इसे राज्यों की कोयला कंपनियों को समय पर भुगतान करने में असमर्थता से जोड़ा है। बयान के अनुसार केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण देश भर में 173 तापीय बिजलीघरों पर नजर रखता है। सात अप्रैल की दैनिक कोयला रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 106 बिजलीघरों में ईंधन का भंडार गंभीर स्तर पर पहुंच गया है।

संगठन ने कहा कि घरेलू कोयले का उपयोग करने वाले 150 तापीय बिजलीघरों में से 86 विद्युत संयंत्रों में कोयले की स्थिति गंभीर स्तर तक पहुंच चुकी है। जबकि एक सप्ताह पहले यह संख्या 81 थी। अखिल भारतीय स्तर पर बिजली की मांग या एक दिन में सबसे अधिक आपूर्ति बृहस्पतिवार को 204.65 गीगावॉट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। देश के ज्यादातर हिस्सों में पारा चढ़ने के साथ बिजली की मांग बढ़ी है।

इससे पहले मंगलवार को बिजली की मांग 201.06 गीगावॉट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची थी। इसने पिछले साल के 200.53 गीगावॉट के रिकॉर्ड को तोड़ा था। देश में बिजली की कुल कमी 62.3 करोड़ यूनिट तक पहुंच गई है। यह आंकड़ा मार्च में कुल बिजली की कमी से अधिक है। इस संकट के केंद्र में कोयले की कमी है। देश में कोयले से 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन होता है।



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