बदले-बदले से केजरीवाल: अलका लांबा और कुमार विश्वास को नोटिस के क्या हैं मायने? संकट में पड़ सकती है भविष्य की राजनीति


सार

राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडे ने अमर उजाला से कहा कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब के लोगों को न केवल एक स्वच्छ, पारदर्शी, भ्रष्टाचार रहित राजनीति का वादा किया था, बल्कि उसके साथ ही पंजाबियत का सपना भी दिखाया था। यदि इसी तरह पंजाब की राजनीति को दिल्ली के इशारों पर चलाया गया, तो आम आदमी पार्टी को पंजाब में लोगों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ सकता है…

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अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में उतरते हुए जनता से यह वादा किया था कि वे देश को एक वैकल्पिक राजनीतिक व्यवस्था देंगे जो वर्तमान व्यवस्था से बिल्कुल अलग होगी। वह ऐसी व्यवस्था होगी जिसमें जनता की आवाज सुनी जाएगी, जनप्रतिनिधियों को कोई विशेष सुविधा-छूट नहीं होगी, कोई पार्टी हाईकमान कल्चर नहीं होगा और जनता का हित सर्वोपरि होगा।

केजरीवाल के इसी वादे का कमाल था कि जनता ने उन पर बढ़-चढ़कर भरोसा किया और उन्हें प्रचंड बहुमत के साथ दिल्ली और फिर पंजाब की सत्ता सौंप दी। लोगों को उनसे कुछ अलग करने की उम्मीद थी। दिल्ली में एक बेहतर शिक्षा मॉडल, स्वास्थ्य सुविधाएं और मुफ्त बिजली-पानी देकर केजरीवाल उस वादे पर खरे उतरते हुए दिखाई भी पड़े। शायद उनकी इसी कोशिश का सकारात्मक परिणाम उन्हें पंजाब में मिला।

ये कैसी अलग राजनीति?

लेकिन जिस तरह से पंजाब पुलिस ने कांग्रेस नेता अलका लांबा और कवि कुमार विश्वास को अरविंद केजरीवाल पर टिप्पणी करने के मामले में नोटिस थमाया है, इस बात की चर्चा की जाने लगी है कि क्या अरविंद केजरीवाल भी राजनीति के उसी पुराने रंग में रंग गए हैं जिसकी वह हमेशा से आलोचना करते आए हैं? क्या इसी पंजाब मॉडल के भरोसे वे गुजरात-हिमाचल और बाकी पूरा देश जीतने की मंशा रखते हैं? उनकी इस राजनीति के क्या मायने हैं?

राजनीतिक पंडित मानते हैं कि किसी भी राजनीतिक दल की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा जनता की अदालत में ली जाती है। कोई भी राजनीतिक दल जो वादे करके सत्ता में आता है, बाद में उसको उन्हीं का हिसाब देना पड़ता है। जहां तक कल्याणकारी योजनाओं की बात है, केजरीवाल अपने उस लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हुए दिखाई भी पड़ते हैं।

लेकिन केवल राजनीतिक टिप्पणियों के कारण भाजपा नेताओं तेजिंदर पाल सिंह बग्गा, नवीन कुमार जिंदल सहित कई कांग्रेस नेताओं पर पुलिसिया कार्रवाई कर वे क्या संकेत देना चाहते हैं? इसका उन्हें लाभ होगा, या नुकसान होगा, क्योंकि वैकल्पिक व्यवस्था देने का उनका वादा उनकी इस हरकत से मेल खाता नहीं दिखाई पड़ता है।

सबने किया ताकत का दुरुपयोग

राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडे ने अमर उजाला से कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि देश की सरकारों ने ही संविधान का मखौल उड़ाने में सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभाई है। समय-समय पर केंद्र की सरकारों या राज्य सरकारों ने अपनी मशीनरी का उपयोग अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को ठिकाने लगाने के लिए किया है। इससे जनता के मन में संवैधानिक संस्थाओं और राजनीतिक दलों की विश्वसनीयता कम हुई है। केवल राजनीतिक बयानबाजी के कारण राजनीतिक विरोधियों पर कार्रवाई बताती है कि केजरीवाल भी उसी लाइन पर आगे बढ़ते हुए दिखाई पड़ते हैं।

आम आदमी पार्टी ने पंजाब के लोगों को न केवल एक स्वच्छ, पारदर्शी, भ्रष्टाचार रहित राजनीति का वादा किया था, बल्कि उसके साथ ही पंजाबियत का सपना भी दिखाया था। यदि इसी तरह पंजाब की राजनीति को दिल्ली के इशारों पर चलाया गया, तो आम आदमी पार्टी को पंजाब में लोगों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ सकता है। उसका वह समर्थन खत्म हो सकता है जिसकी बदौलत उसने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में प्रचंड ताकत पाई है।

इसका नुकसान केवल पंजाब तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उनके कार्यों की गूंज गुजरात, हिमाचल प्रदेश सहित उन सभी राज्यों में भी सुनाई देगी जहां केजरीवाल अपने कदम बढ़ाना चाहते हैं। उनके राजनीतिक विरोधी इन मुद्दों को भुनाने में पीछे नहीं रहेंगे। यह आम आदमी पार्टी की भविष्य की राजनीति को भी संकट में डाल सकता है।

मजबूत दिखने की कोशिश

राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार का मानना है कि अरविंद केजरीवाल बहुत चतुर राजनेता साबित हुए हैं। वह जनता की नब्ज समझते हैं और इसलिए वे जो कुछ भी करते हैं, उसके पीछे उनका बहुत साफ संदेश होता है। आज देश में जिस तरह की राजनीति चल रही है,  उसमें समाज का एक वर्ग खुद को हाशिए पर खड़ा महसूस कर रहा है। वह अपने लिए देश की सत्ताधारी पार्टी से किसी को लड़ते हुए देखना चाहता है। संभवत अरविंद केजरीवाल इस तरह की कार्रवाई कर जनता के उस वर्ग तक यही संदेश देना चाहते हैं कि वे उसके हर मुद्दे के लिए केंद्र से लड़ने के लिए तैयार खड़े हैं। यदि यह संदेश जनता तक जाता है तो उन्हें इसका फायदा भी हो सकता है।  

असली सोच सामने आई

कांग्रेस नेता ऋतु चौधरी ने कहा कि अब अरविंद केजरीवाल की कलई खुल गई है। उनकी असलियत जनता के सामने आ गई है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल अब अपने हर उस वादे का मखौल उड़ाते हुए दिख रहे हैं जिससे वे सत्ता में आए थे। उन्होंने अपने लिए कोई बंगला, गाड़ी, सुरक्षा या सुविधा न लेने का वादा किया था, लेकिन जनता देख रही है कि उन्होंने न सिर्फ बंगला, गाड़ी और सुरक्षा ली, बल्कि केवल अपने बंगले के साज-सज्जा पर करोड़ों रुपये भी खर्च कर दिए।

कोई सुविधा न लेने की बात करने वाले केजरीवाल अब अपने आवास पर स्विमिंग पूल बनवा रहे हैं। इसी प्रकार देश को पारदर्शी लोकतांत्रिक व्यवस्था का बेहतर विकल्प देने की बात करने वाले केजरीवाल अब बदले की राजनीति और तानाशाही प्रवृत्ति पर उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि आम जनता को उनकी यह असलियत समझ आ रही है और जल्द ही उनकी इस राजनीति का पटाक्षेप होगा।

विस्तार

अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में उतरते हुए जनता से यह वादा किया था कि वे देश को एक वैकल्पिक राजनीतिक व्यवस्था देंगे जो वर्तमान व्यवस्था से बिल्कुल अलग होगी। वह ऐसी व्यवस्था होगी जिसमें जनता की आवाज सुनी जाएगी, जनप्रतिनिधियों को कोई विशेष सुविधा-छूट नहीं होगी, कोई पार्टी हाईकमान कल्चर नहीं होगा और जनता का हित सर्वोपरि होगा।

केजरीवाल के इसी वादे का कमाल था कि जनता ने उन पर बढ़-चढ़कर भरोसा किया और उन्हें प्रचंड बहुमत के साथ दिल्ली और फिर पंजाब की सत्ता सौंप दी। लोगों को उनसे कुछ अलग करने की उम्मीद थी। दिल्ली में एक बेहतर शिक्षा मॉडल, स्वास्थ्य सुविधाएं और मुफ्त बिजली-पानी देकर केजरीवाल उस वादे पर खरे उतरते हुए दिखाई भी पड़े। शायद उनकी इसी कोशिश का सकारात्मक परिणाम उन्हें पंजाब में मिला।

ये कैसी अलग राजनीति?

लेकिन जिस तरह से पंजाब पुलिस ने कांग्रेस नेता अलका लांबा और कवि कुमार विश्वास को अरविंद केजरीवाल पर टिप्पणी करने के मामले में नोटिस थमाया है, इस बात की चर्चा की जाने लगी है कि क्या अरविंद केजरीवाल भी राजनीति के उसी पुराने रंग में रंग गए हैं जिसकी वह हमेशा से आलोचना करते आए हैं? क्या इसी पंजाब मॉडल के भरोसे वे गुजरात-हिमाचल और बाकी पूरा देश जीतने की मंशा रखते हैं? उनकी इस राजनीति के क्या मायने हैं?

राजनीतिक पंडित मानते हैं कि किसी भी राजनीतिक दल की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा जनता की अदालत में ली जाती है। कोई भी राजनीतिक दल जो वादे करके सत्ता में आता है, बाद में उसको उन्हीं का हिसाब देना पड़ता है। जहां तक कल्याणकारी योजनाओं की बात है, केजरीवाल अपने उस लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हुए दिखाई भी पड़ते हैं।

लेकिन केवल राजनीतिक टिप्पणियों के कारण भाजपा नेताओं तेजिंदर पाल सिंह बग्गा, नवीन कुमार जिंदल सहित कई कांग्रेस नेताओं पर पुलिसिया कार्रवाई कर वे क्या संकेत देना चाहते हैं? इसका उन्हें लाभ होगा, या नुकसान होगा, क्योंकि वैकल्पिक व्यवस्था देने का उनका वादा उनकी इस हरकत से मेल खाता नहीं दिखाई पड़ता है।

सबने किया ताकत का दुरुपयोग

राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडे ने अमर उजाला से कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि देश की सरकारों ने ही संविधान का मखौल उड़ाने में सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभाई है। समय-समय पर केंद्र की सरकारों या राज्य सरकारों ने अपनी मशीनरी का उपयोग अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को ठिकाने लगाने के लिए किया है। इससे जनता के मन में संवैधानिक संस्थाओं और राजनीतिक दलों की विश्वसनीयता कम हुई है। केवल राजनीतिक बयानबाजी के कारण राजनीतिक विरोधियों पर कार्रवाई बताती है कि केजरीवाल भी उसी लाइन पर आगे बढ़ते हुए दिखाई पड़ते हैं।

आम आदमी पार्टी ने पंजाब के लोगों को न केवल एक स्वच्छ, पारदर्शी, भ्रष्टाचार रहित राजनीति का वादा किया था, बल्कि उसके साथ ही पंजाबियत का सपना भी दिखाया था। यदि इसी तरह पंजाब की राजनीति को दिल्ली के इशारों पर चलाया गया, तो आम आदमी पार्टी को पंजाब में लोगों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ सकता है। उसका वह समर्थन खत्म हो सकता है जिसकी बदौलत उसने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में प्रचंड ताकत पाई है।

इसका नुकसान केवल पंजाब तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उनके कार्यों की गूंज गुजरात, हिमाचल प्रदेश सहित उन सभी राज्यों में भी सुनाई देगी जहां केजरीवाल अपने कदम बढ़ाना चाहते हैं। उनके राजनीतिक विरोधी इन मुद्दों को भुनाने में पीछे नहीं रहेंगे। यह आम आदमी पार्टी की भविष्य की राजनीति को भी संकट में डाल सकता है।

मजबूत दिखने की कोशिश

राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार का मानना है कि अरविंद केजरीवाल बहुत चतुर राजनेता साबित हुए हैं। वह जनता की नब्ज समझते हैं और इसलिए वे जो कुछ भी करते हैं, उसके पीछे उनका बहुत साफ संदेश होता है। आज देश में जिस तरह की राजनीति चल रही है,  उसमें समाज का एक वर्ग खुद को हाशिए पर खड़ा महसूस कर रहा है। वह अपने लिए देश की सत्ताधारी पार्टी से किसी को लड़ते हुए देखना चाहता है। संभवत अरविंद केजरीवाल इस तरह की कार्रवाई कर जनता के उस वर्ग तक यही संदेश देना चाहते हैं कि वे उसके हर मुद्दे के लिए केंद्र से लड़ने के लिए तैयार खड़े हैं। यदि यह संदेश जनता तक जाता है तो उन्हें इसका फायदा भी हो सकता है।  

असली सोच सामने आई

कांग्रेस नेता ऋतु चौधरी ने कहा कि अब अरविंद केजरीवाल की कलई खुल गई है। उनकी असलियत जनता के सामने आ गई है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल अब अपने हर उस वादे का मखौल उड़ाते हुए दिख रहे हैं जिससे वे सत्ता में आए थे। उन्होंने अपने लिए कोई बंगला, गाड़ी, सुरक्षा या सुविधा न लेने का वादा किया था, लेकिन जनता देख रही है कि उन्होंने न सिर्फ बंगला, गाड़ी और सुरक्षा ली, बल्कि केवल अपने बंगले के साज-सज्जा पर करोड़ों रुपये भी खर्च कर दिए।

कोई सुविधा न लेने की बात करने वाले केजरीवाल अब अपने आवास पर स्विमिंग पूल बनवा रहे हैं। इसी प्रकार देश को पारदर्शी लोकतांत्रिक व्यवस्था का बेहतर विकल्प देने की बात करने वाले केजरीवाल अब बदले की राजनीति और तानाशाही प्रवृत्ति पर उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि आम जनता को उनकी यह असलियत समझ आ रही है और जल्द ही उनकी इस राजनीति का पटाक्षेप होगा।



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