कहीं आपका बच्‍चा भी तो नहीं है नाइट टेरर या स्‍लीप टेरर का शिकार? जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय


Night Terror Or Sleep Terror In Children : कई पेरेंट्स (Parents) इस बात से परेशान रहते हैं कि उनका बच्‍चा (Kids) रात को नींद से एकाएक जाग जाता है और डर से बुरी तरह चिल्‍लाने लगता है और घबराहट में कांपने तक लगता है. कई बार तो यह डर बच्‍चों पर इतना हावी हो जाता है कि वे रात में सोने से ही घबराने लगते हैं और इसका असर बच्‍चे की सेहत पर पड़ने लगता है.  दरअसल इस स्थिति को नाइट टेरर (Night Terror) या स्‍लीप टेरर (Sleep Terror) कहा जाता है.  किड्स हेल्‍थ के मुताबिक, नाइट टेरर दरअलस नींद में व्‍यावधान को कहा जाता है जो डरावने सपने से कहीं ज्‍यादा ड्रामेटिक और भयावह होता है. ऐसे में अगर आपके बच्‍चे भी इस स्थिति से गुजर रहे हैं तो यह जरूरी है कि आप तुरंत अपने डॉक्‍टर से संपर्क करें और ऐसे हालात में बच्‍चे की मदद करें ना कि डांट फटकार करें.

क्‍या है नाइट टेरर

आमतौर पर 4 से 12 साल के बच्‍चों में सोने के दौरान ऐसी शिकायत देखने को मिल सकती है. कई बार ऐसे लक्षण 18 महीने के बच्‍चों में भी दिखता है. यह समस्‍या उन बच्‍चों में अधिक देखने को‍ मिलती है जिनकी फैमिली में किसी को स्‍लीप वॉकिंग के लक्षण रहे हैं. आमतौर पर नाइट टेरर सोने के दो से तीन घंटे के बाद होता है. यह एक डरावने सपने की तरह आपको शुरू में लग सकता है लेकिन इस हालात में बच्‍चा कहीं ज्‍यादा डरा हुआ, सपने में खोया हुआ और हिंसक कार्रवाई से जूझता महसूस करता है. यह दरअसल सोने के बाद जब बच्‍चा नींद के दूसरे या तीसरे स्‍टेज में जाता है तो सेंट्रल नर्वस सिस्‍टम में कुछ डिसटर्वेंस की वजह से होता है.

नाइट टेरर के कारण

-नाइट टेरर कई बार कुछ डरावना देखने या बुरे सपने की वजह से हो सकता है.

-तनाव, थकान या कई बार किसी दवाई के सेवन से भी ये हो सकता है.

– कई बार बुखार या शरीर का उच्च तापमान, जो मस्तिष्क के कार्यों में हस्तक्षेप कर सकता है. ऐसे में बच्चे सो नहीं पाते जो नाइट टेरर का कारण बन सकता है.

– रात को भरा हुआ मूत्राशय भी बच्‍चों की नींद को बाधित करता है जिससे नाइट टेरर की समस्‍या हो सकती है.

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नाइट टेरर के लक्षण

-सोते हुए अजीब भावों के साथ डरा दिखना.

-चिल्लाना, चीखना और बुरी तरह से रोना.

-तेजी से सांस लेना और अत्यधिक पसीना आना.

-पैर हाथ को आक्रामक तरीके से हिलाना.

-आँखें खोलकर भी सबको नजरअंदाज करना.

-नींद में चलना या भागना.

नाइट टेरर से बचाव के टिप्‍स

1.बच्‍चों को झटके से ना जगाएं

ज्यादातर ऐसे मामलों में माता पिता बच्चे को जगाने की कोशिश करते हैं. जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. दरअसल इस समय उनका दिमाग अस्थिर स्थिति में होता है और हड़बड़ी में उठाने से समस्‍या जटिल बन सकती है.

2.प्‍यार से सहलाकर उठाएं

टेरर के दौरान आप बच्चे को जगाएं और उसे दिलासा दें. आप उसे गले लगाकर उसके सिर को सहलाएं, इससे वह सुरक्षित महसूस करेगा. बच्चे को सुलाने की कोशिश करें.

3.स्‍लीपिंग लाइट या नाइट लैंप

बच्चे के सोने वाले कमरे की रोशनी कम रखें. बेहतर होगा कि आप कमरे में स्‍लीपिंग लाइट या नाइट लैंप का उपयोग करें.

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4.शांत वातावरण

इस बात का ध्‍यान रखें कि बच्‍चे के सोने की जगह शां‍त हो और वहां किसी तरह का शोर या आवाज ना होती हो.

6.सोने से पहले टॉयलेट ले जाएं

सोने से पहले बच्चे को पेशाब करवाएं ताकि उसका मूत्राशय भरा न रह जाए. कई बार इस वजह से भी बच्‍चे नाइट टेरर के शिकार होते हैं.

7.अच्‍छी कहानी सुनाकर सुलाएं

सोने से पहले टीवी या मोबाइल की जगह आप उसे एक अच्‍छी सी स्‍टोरी सुनाकर सुलाएं. ऐसे करने से वो बेहतर चीज सोचकर सोएगा और स्‍ट्रेस कम होगा.  

Tags: Health, Kids, Lifestyle, Parenting tips

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