नरगिस दत्त की परछाई
पूरी फिल्म में सुनील दत्त सिर्फ नरगिस दत्त की फोटो और उनकी परछाई के सहारे ही ऐक्टिंग कर रहे हैं। उन्होंने ऐक्टिंग भी बहुत शानदार की है। बताया जाता है कि इस फिल्म से उन्होंने डायरेक्शन में डेब्यू किया था।
ऑडियंस को दिखाई नई चीज
सुनील दत्त ने उस दौर में दर्शकों को विजुअल एक्स्प्रेशन silhouette से रूबरू कराया था। दूसरी पर्सनैलिटी को दिखाने के लिए ब्लैक शैडो का यूज किया गया था।
फिल्म की कहानी
कहानी की बात करें तो एक घर है, जिसमें अनिल (सुनील दत्त) रहता है। वो पूरा घर छान मारता है, लेकिन उसे उसकी बीवी और बच्चे दिखाई नहीं देते। कहानी बीवी संग अनबन से लेकर सुसाइड करने का ख्याल आने तक है। कहानी में सुनील दत्त के किरदार को छोड़कर बाकी सबकी सिर्फ आवाज ही सुनाई देती है।
लता मंगेशकर ने गाया था गाना
फिल्म की एक और दिलचस्प बात ये है कि इसमें सिर्फ दो गानें थे, जिसे लता मंगेशकर जी ने गाए थे। फिल्म के डायलॉग्स और म्यूजिक को वसंत देसाई ने कंपोज किया था।
1955 में किया था डेब्यू
सुनील दत्त साहब को 1968 में पद्म श्री से नवाजा गया था। उन्होंने रेडियो से अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने हिंदी फिल्मों का रुख किया और 1955 में ‘रेलवे प्लेटफॉर्म’ से डेब्यू किया। उनकी आखिरी फिल्म ‘ओम शांति ओम’ थी, जो साल 2007 में रिलीज हुई थी।