Namit Malhotra: मिलिए उस हिंदुस्तानी से, जिसकी कंपनी ने 7 बार जीता बेस्ट VFX का Oscars अवॉर्ड


ऑस्‍कर अवॉर्ड्स 2022 (Oscars 2022) में बेस्‍ट फिल्‍म का अवॉर्ड भले ही CODA को मिला हो, लेकिन हर ओर चर्चा Dune की है। इस फिल्‍म ने एक के बाद एक 6 कैटेगरी में अवॉर्ड अपने नाम किए। इसी फिल्‍म के लिए बेस्ट विजुअल इफेक्ट्स (Best Visual Effects) का अवॉर्ड अपने नाम किया, डीएनईजी कंपनी ने। यह इस कंपनी का सातवां और पिछले आठ साल में 6ठा ऑस्कर अवॉर्ड है। दिलचस्‍प बात यह है कि इस कंपनी के मुखिया हैं अपने हिंदुस्तान के (Namit Malhotra) नमित मल्होत्रा। अपनी इस ऐतिहासिक उपलब्‍ध‍ि पर नमित ने ‘नवभारत टाइम्‍स’ से खास बातचीत की है। इस दौरान उन्‍होंने अपनी सक्‍सेस और जर्नी का जिक्र तो किया ही, साथ ही यह भी बताया कि आख‍िर उनके लिए भी ‘ड्यून’ फिल्‍म क्‍यों खास है। हॉलिवुड में डीएनईजी वीएफएक्स ऐंड एनिमेशन स्टूडियो का अपना रुतबा है। नमित की कंपनी को इस बार दो फिल्मों ‘ड्यून’ और ‘नो टाइम टू डाई’ के वीएफएक्स के लिए नॉमिनेट किया गया था। ‘ड्यून’ से पहले यह कंपनी ‘टेनेट’ (2021), ‘फर्स्ट मैन’ (2019), ‘ब्लेड रनर 2049’ (2018), ‘एक्स मशीन’ (2016), ‘इंटरस्टेलर’ (2015) और ‘इंसेप्शन’ (2011) के लिए बेस्ट विजुअल इफेक्ट्स का ऑस्कर जीत चुकी है। हालांकि, कंपनी के चेयरमैन और सीईओ नमित मल्होत्रा ‘ड्यून’ के लिए मिली इस उपलब्धि को बेहद खास मानते हैं। उनका कहना है कि ‘ड्यून’ के जरिए उन्होंने विजुअल इफेक्ट्स की दुनिया में नए मानदंड तय किए, जिसे बीस साल बाद भी लोग देखकर हैरान होंगे।

‘ड्यून’ का वीएफएक्स सालों बाद भी याद किया जाएगा
बकौल नमित मल्होत्रा, ‘हमारे लिए ये उपलब्धि बहुत बड़ी है, क्योंकि इस बार हमने वीएफएक्स की दुनिया में एक नया स्टैंडर्ड सेट किया है। यह विजुअल इफेक्ट्स की दुनिया में नया बेंचमार्क है, इसलिए इस पर मुझे बहुत गर्व है। हां, हमने ‘ड्यून’ से पहले छह ऑस्कर जीते हैं, उसमें पांच हमने पिछले सात साल में जीते हैं, लेकिन इस बार जेम्स बॉन्ड और ड्यून में हमने एक अलग लेवल हासिल किया है। खासकर, ड्यून में जो विजुअल इफेक्ट्स है, वह काफी सालों तक याद रखा जाएगा। आम तौर पर आप कोई भी वीएफएक्स देखें, आपको पांच-सात सालों बाद लगेगा कि यह उस वक्त के हिसाब से ठीक था, लेकिन अब वीएफएक्स का लेवल काफी बेहतर हो चुका है, पर ड्यून का काम आप दस-बीस साल बाद भी देखेंगे तो लगेगा कि यार, ये तो कुछ अलग ही लेवल है।’

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हमेशा लगता है ये और बेहतर हो सकता था
नमित आगे कहते हैं, ‘यह अपने में अलग ही अचीवमेंट है। हर बार अपनी ही खींची लकीर को और बड़ा करने की चुनौती है। एक पॉइंट के बाद यह हमारी आदत बन जाती है कि हम अपने स्टैंडर्ड को और अच्छा कैसे करें। फिर मेरा मानना है कि विजुअल इफेक्ट्स में बेहतर करने की गुंजाइश कभी खत्म नहीं होती। अक्सर या तो टाइम खत्म हो जाता है या पैसे। हमें हमेशा लगता है कि कुछ चीजें और बेहतर कर सकते हैं। इसलिए, हमारी कोशिश ये रहती है कि पिछली बार हमारे दिमाग में जो सोच अधूरी रह गई थी, उसे पूरा कर सकें।’

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अगले दस साल में बॉलिवुड में बढ़ेगा वीएफएक्स पर जोर
हॉलिवुड के मुकाबले भारतीय फिल्मों में वीएफएक्स के उस स्तर पर न पहुंच पाने की वजह पर नमित कहते हैं, ‘यहां की फिल्मों में भी वीएफएक्स पॉप्युलर हो रहा है। आप ‘बाहुबली’ या ‘आरआरआर’ देखें। हॉलिवुड में पिछले 40 साल से वीएफएक्स में काम हो रहा है। हमारे यहां पिछले 8-10 साल में इस ओर थोड़ा ध्यान दिया जा रहा है। मेरा मानना है कि अगले दस साल में यहां भी वीएफएक्स का अलग लेवल देखेंगे, क्योंकि आज हर बड़ा फिल्ममेकर इस दिशा में सोच रहा है। हम खुद एक फिल्म प्रड्यूस कर रहे हैं, ब्रह्मास्त्र। मेरा मानना है कि वह भी हिंदुस्तानी सिनेमा के लिए बड़ा बेंचमार्क सेट करेंगी। इसलिए मेरा मानना है कि हिंदुस्तान में आने वाले दस सालों में इस दिशा में मौके बढ़ेंगे।’

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