बॉलिवुड तक पहुंचने का अपना किस्सा सुनाते हुए विक्की कौशल ने कहा, ‘मुंबई उतरकर मैं अपने दोस्त के साथ मुलुंड के चॉल में रहने गया। 20 दिन बाद में मुझे चेंबूर में सेल्स में एक नौकरी मिल गई और 350 रुपये सैलरी थी। इसी पैसे में आना-जाना सब करता था। कुछ दिन बाद पैसों की कमी के कारण कमरा छोड़ना पड़ा तो जिस ऑफिस में काम करता था उसी में रहता था। एक साल तक मैं ये जॉब करता रहा और फिर मैंने अपने पिताजी को वो पैसे लौटाए थे। फिर मैं गांव गया और वहां से लौटने के बाद मैंने सोच लिया कि अब मैं नौकरी नहीं करूंगा और ैमंने रिजाइन कर दिया। फिर 3-4 महीने बहुत मुश्किल में गुजरे।’
उन्होंने आगे कहा, ‘फिर मैं सांताक्रूज़ में रहने लगा, वहां अनुपम खेर जी रहते थे और वहां पंजाबी लड़के रहते थे जो स्टंट में काम करते थे। वे लड़के मुझे स्टंट में ले आए कि जब तक कोई काम नहीं मिलता है तब मैं ये कर लूं। फिर मैंने दोस्तों से 100-200 लेकर मेंबरशिप ले लिया और स्टंटमैन बन गया। मैं स्टंटमैन बना जब मेरी उम्र साढ़े 24 साल के करीब थी। एक स्टेज ऐसी आ गई थी कि मेरे पास रहने की भी जगह नहीं थी। ये करने के अलावा मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था।’
उन्होंने बताया कि उन्हें वीरू देवगन जी ने बुलाया था और उन्होंने उनके फॉर्म पर साइन किए थे। पहले एक साल तक उनके पास स्पॉटबॉय की ही तरह था। जैकी श्रॉफ ने फिल्म हीरो साइन की थी तो वह भी स्टंट सीकने आते थे और कई बार मुझे सांताक्रूज़ में छोड़ते जाते थे।
उन्होंने बताया, ’90 के दशक में मुझे ब्रेक मिली एक ऐक्शन डायरेक्टर के तौर पर। मैंने पूरी बॉडी को आग लगाकर बॉडी फायर किया हूं, कोई डर नाम की चीज नहीं थी। कितनी बार सिर के बल गिर जाता था। एक बार मैं गिरा था तो मेरी याद्दाश्त ही चली गई थी, मुझे 2-3 घंटे तक याद ही नहीं कि मैं कौन हूं, क्या हूं।’ इसके बाद उन्होंने पूरे करियर की कहानी सुनाई कि कैसे-कैसे उन्हें काम मिलता गया और वह स्टंट डायरेक्टर तक पहुंच गए।