रात में सोने में आ रही है दिक्कत? जानिए बेहतर नींद लेने के 4 वैज्ञानिक उपाय


Scientific measures to improve sleep : रात में सुकून की नींद (Sleep) लेना कई कारणों से महत्वपूर्ण होता है. प्रॉपर नींद (Sound sleep) लेने से मानसिक और शारीरिक रूप से आप फिट और हेल्दी महसूस करते हैं. प्रतिदिन 7-8 घंटे सोने से मूड में सुधार होता है. आप एनर्जेटिक महसूस करते हैं. दिन में आलस सा महसूस नहीं होता, किसी भी काम को ध्यान लगाकर करने में मदद मिलती है. लेकिन,  कोरोना से जितने भी लोग पॉजिटिव हुए हैं, उनमें से हर दस में से तीन को नींद की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जैसे नींद के समय में कमी, गहरी नींद न आना, नींद की टाइमिंग में दिक्कत होना. डिप्रेशन से जुड़ी बीमारी वालों में ये समस्याएं ज्यादा हैं. रात में बेचैनी महसूस करने के कारण लोग बिस्तर पर करवटें बदलते रहते हैं.

रात में देर तक जागकर काम करना और सुबह जल्दी उठने के कारण ऑफिस या घर का कोई भी काम सही से नहीं हो पाता है. दैनिक भास्कर अखबार ने न्यूयॉर्क टाइम्स के हवाले से नींद बेहतर करने के कुछ उपाय बताए हैं.

जागने का टाइम तय करें
अगर आप लगभग रोजाना अलग-अलग टाइम पर सोते हैं, तो सुबह उठने का समय फिक्स करना कठिन है. पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी (University of Pennsylvania) में एसोसिएट प्रोफेसर इलेन रोजर (Elaine Roger,) कहती हैं, सोने का समय निर्धारित करने की बजाय उठने का समय निर्धारित करें. ये आदत आपके शरीर को सुबह जागने के 7 से 8 घंटे पहले एक निश्चित समय पर सोने का संदेश देने लगेगा. और सोने का समय तय हो जाएगा.
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बेडरूम के बाहर ही चार्ज करें फोन
कई रिसर्च से ये बात सामने आ चुकी है कि सोने के समय मोबाइल का इस्तेमाल करने से नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है. इस आदत को बदलने का एक बेहतर तरीका है कि फोन हमेशा बेडरूम के बाहर चार्ज करें. अगर आप मोबाइल का इस्तेमाल अलार्म लगाने के लिए करते हैं, तो बेहतर होगा कि इसकी जगह अलार्म घड़ी का यूज करें, ताकि मोबाइल पास रखने का बहाना ना रहे.

बेड पर बैठकर ऑफिस या घर का कोई काम ना करें
साइकोलॉजिकली बेड का नींद से सीधा संबंध है. जब हम बिस्तर या बेड पर लेटते हैं, तो हमें आराम और हल्कापन का अहसास होना चाहिए. परंतु जब हम घर या ऑफिस के काम बिस्तर या बेड करने लगते हैं तो ब्रेन इस आराम या रिलैक्स करने की जगह बॉडी को एक्टिव करने लगता है, जिससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है. नतीजतन ये हमें अधूरी नींद की ओर ले जाता है.

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कमरे को ठंडा रखें 
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजलिस (University of California, Los Angeles) में स्लीप डिसऑर्डर सेंटर के डायरेक्टर डॉ. एलोन वाई अविदान (Dr. Alon Y. Avidan) के अनुसार, जब हमें नींद आती है, तो शरीर का तापमान गिरता है, जिससे नींद के स्लीप साइकिल को कंट्रोल करने वाला नेचुरल हार्मोन मेलाटॉनिन की क्रियाशीलता बढ़ती है. यदि कमरे का तापमान 18 से 19 डिग्री सेल्सियस रखा जाए, तो नींद आने में सहायता मिलती है.

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