30 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को जरूर करवाने चाहिए ये 3 टेस्ट वरना हो सकता है ये कैंसर


महिलाओं के लिए एक निश्चित उम्र के बाद सर्वाइकल कैंसर की जांच कराना जरूरी है। 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना सबसे अधिक होती है। लेकिन नियमित जांच से कम उम्र में ही सर्वाइकल कैंसर का पता लगाया जा सकता है और समय पर इसका इलाज किया जा सकता है।

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे आम कैंसर है। यह महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा (गर्भ-गर्भाशय का निचला सिरा) का कैंसर है जो गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों को प्रभावित करता है। यह कैंसर योनि, मूत्राशय, मलाशय और यहां तक ​​कि फेफड़ों तक भी फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के अनुसार, ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) सर्वाइकल कैंसर का सबसे आम कारण है, जो यौन संपर्क से फैलता है। प्रारंभिक अवस्था में एचपीवी का आसानी से इलाज किया जा सकता है, लेकिन अगर इलाज न किया जाए तो यह धीरे-धीरे सर्वाइकल कैंसर में विकसित हो सकता है।

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हालाँकि, प्रभावी टीकाकरण, नियमित जांच और एडवांस टेस्ट की मदद से स्थिति बेहतर हो रही हैं और मृत्यु दर कम हो गई है। हालांकि, महिलाओं के लिए एक निश्चित उम्र के बाद सर्वाइकल कैंसर की जांच कराना जरूरी है। 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना सबसे अधिक होती है। लेकिन नियमित जांच से कम उम्र में ही सर्वाइकल कैंसर का पता लगाया जा सकता है और समय पर इसका इलाज किया जा सकता है।

पैप स्मीयर टेस्ट

पैप स्मीयर टेस्ट एक तरह का पेल्विक टेस्ट है जो सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) की कोशिकाओं में किसी भी तरह के बदलाव का पता लगाने के लिए किया जाता है। आमतौर पर 30 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं के लिए पीएपी टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। अगर जरूरी हो तो डॉक्टर एचपीवी टेस्ट (HPV Test ) के साथ संयुक्त रूप से पांच साल बाद फिर से करवाने की सलाह दे सकते हैं।

 वीआईए स्क्रीनिंग

26-30 वर्ष की महिलाओं में सर्विक्स कैंसर की जांच के लिए वीआईए स्क्रीनिंग एक प्रभावी तरीका है। इसमें एसिटिक एसिड के साथ विज्युल इंस्पेक्शन सर्विक्स के घावों का पता लगाने में मदद कर सकता है। इसमें सरल उपचार और सर्वाइकल कैंसर के शुरूआती लक्षणों का निदान शामिल है। अगर कोई महिला वीआईए पॉजीटिव पाई जाती है तो सर्वाइकल बायोप्सी के तुरंत बाद क्रायोथैरेपी के जरिए इलाज किया जा सकता है।

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एचपीवी टेस्टिंग 

एक शोध के अनुसार, सर्वाकल कैंसर के 99 प्रतिशत मामलों में ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (HPV) जिम्मेदार पाया गया है। ऐसे में, यह टेस्ट एचपीवी की उपस्थिति का पता लगाने में मदद कर सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, एचपीवी वायरस को कैंसर में बदलने में कम से कम 10 साल लगते हैं। ऐसे में इस टेस्ट से समय रहते सर्वाइकल कैंसर का पता चल जाता है और इलाज के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। ऐसे मामलों में कभी- कभी डॉक्टर संयुक्त रूप से पीएपी और एचपीवी टेस्ट करवाने की सलाह भी दे सकते हैं। 

आपको कितनी बार सर्वाइकल कैंसर की जांच करानी चाहिए –

21 से 29 साल की उम्र की महिलाओं को हर 3 साल में पैप टेस्ट करवाना चाहिए।

25 से 29 वर्ष की महिलाओं के लिए केले एचपीवी टेस्ट ही काफी होता है लेकिन पैप टेस्ट को भी प्राथमिकता दी जाती है।

30 से 65 वर्ष की आयु के बीच की महिलाएं हर 5 साल में एक पैप टेस्ट और एक एचपीवी टेस्ट (सह-परीक्षण) कर सकती हैं। या वे हर 3 साल में अकेले पैप परीक्षण और हर 5 साल में एक एचपीवी परीक्षण कर सकती हैं।

– प्रिया मिश्रा

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

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