बिहार में सेना भर्ती पर यूं ही नहीं मचा है बवाल, 11 साल पहले इस फिल्म ने दिखाई थी असलियत!


सेना की नई भर्ती स्कीम ‘अग्निपथ’ को लेकर बिहार समेत कई राज्यों में जमकर बवाल हो रहा है। बिहार के बक्सर, आरा, मुजफ्फरपुर, जहानाबाद, छपरा, सिवान, नवादा से लेकर बेगूसराय समेत कई जिलों में विरोध जारी है। अग्निपथ के तहत अग्निवीर योजना को लेकर छात्रों में गुस्सा है। छात्र स्थाई नौकरी को खत्म करने को लेकर अपना गुस्सा कर रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब बिहार में रोजगार, पढ़ाई व सरकारी नौकरी को लेकर लोग बवाल मचा रहे हैं। ठीक ऐसा ही सबकुछ हम 11 साल पहले आई प्रकाश झा की फिल्म में देख चुके हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं सैफ अली खान, अमिताभ बच्चन, मनोज बाजपेयी और दीपिका पादुकोण की फिल्म ‘आरक्षण’ की, जिसमें नौकरी व भर्ती को लेकर निर्देशक ने सिनेमाई जादू दिखाया था। आइए आज इसी फिल्म की चर्चा करते हैं।

12 अगस्त 2011 को प्रकाश राज की फिल्म ‘आरक्षण’ (Aarakshan) रिलीज हुई। इसमें न सिर्फ नौकरियों में आरक्षण के मुद्दे पर बात की गई बल्कि देश की शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। जैसे आज बिहार की सड़कों पर छात्र अपने हक के लिए उतर आए हैं ठीक वैसे ही आरक्षण में भी ये सब विरोध प्रदर्शन दिखाया गया था। फिल्म की न केवल समीक्षकों ने तारीफ की थी बल्कि हिट का तमगा भी हासिल किया था।

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11 साल पहले इस फिल्म ने दिखाई थी असलियत!

आरक्षण की कहानी
ये फिल्म गंभीर विषय को लेकर पिरोई गई और इसी गंभीरता के साथ इसका निर्देशन भी किया गया। फिल्म भोपाल के एक प्राइवेट कॉलेज एसटीएम से शुरू होती है। इस कॉलेज के प्रिंसीपल प्रभाकर (अमिताभ बच्चन) आनंद हैं जो अपनी ईमानदारी और असूलों के साथ अपनी नौकरी करते हैं। उनके कॉलेज में दलित प्रोफेसर दीपक कुमार (सैफ अली खान) हैं जिनसे ऊंची जाति के मिथिलेश (मनोज बाजपेयी) जैसे अध्यापक नफरत करते हैं। इस पूरी कहानी में बदलाव तब आता है जब सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण पर फैसला आता है। आगे चलकर ये कहानी एजुकेशन को बिजनेस बनाने वाली कुप्रथाओं पर भी प्रकाश डालती है। दीपिका पादुकोण के रोल की बात करें तो वह फिल्म में प्रिंसीपल की बेटी पूरबी के रोल में दिखी थीं।

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11 साल पहले इस फिल्म ने दिखाई थी असलियत!

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फिलहाल बवाल क्यों
मौजूदा समय में भारतीय सेना में भर्ती को लेकर भूचाल आया है। हाल में ही थल सेना, नौसेना और वायुसना में अग्निपथ स्कीम के तहत अग्निवीर (Agneepath Recruitment Scheme) की भर्ती योजना सरकार लेकर आई है, जिसमें अभ्यर्थियों को 4 साल के लिए नौकरी करनी होगी और फिर उनकी सेवा समाप्त हो जाएगी। ऐसे में देश के कोने कोने में इस नई योजना का विरोध हो रहा है। सभी छात्रों और लोगों का एक ही सवाल है कि इन अग्निवीरों को चार साल बाद क्या होगा?

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