बैठने का समय घटाने से कम हो सकता है कई बीमारियों का खतरा – स्टडी


आजकल के लाइफस्टाइल में काम के लंबे घंटों की वजह से काफी देर तक सीट पर बैठे रहना पड़ता है. जिससे की काफी देर तक शरीर नॉन-एक्टिव पोजिशन में रहता है. ऐसे में साइंटिस्ट्स का मानना है कि लगातार बैठे रहने के समय में अगर कमी लाई जाए, तो लाइफस्टाइल की डिजीज (बीपी-शुगर आदि) का खतरा कम हो सकता है. एक ताजा स्टडी में रिसर्चस ने कहा है कि रोजाना अगर बैठने के समय में एक घंटे की भी कटौती की जाए और हल्का-फुल्का व्यायाम किया जाए, तो जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को रोकने में मदद मिलती है.

फिनलैंड स्थित तुर्कू पीईटी सेंटर और यूकेके इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स ने स्टडी इस बात पर केंद्रित किया कि क्या बैठने का समय कम करके और व्यायाम के जरिए शारीरिक लाभ हासिल किया जा सकता है? स्टडी में हिस्सा लेने वालों में टाइप-2 डायबिटीज और दिल के मरीजों के साथ-साथ शारीरिक रूप से निष्क्रिय वयस्क भी शामिल थे.

कैसे हुई स्टडी
रिसर्चर्स ने स्टडी के लिए दो ग्रुप्स की तुलना की, एक इंटरवेंशन ग्रुप जिसे खड़े होने और हल्की-तीव्रता वाली फिजिकल एक्टिविटी के जरिए रोजाना अपने बैठने के समय को एक घंटे तक कम करने के लिए कहा गया था. और दूसरा कंट्रोल ग्रुप जिसे उनकी सामान्य आदतों और नॉन एक्टिव लाइफसटाइल को बनाए रखने का निर्देश दिया गया था.

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क्या कहते हैं जानकार
यूनिवर्सिटी ऑफ तुर्कू (University of Turku) की रिसर्चर तारू गर्थवेट (Taru Garthwaite) के अनुसार, ‘इस स्टडी में शामिल दोनों ग्रुप्स के पार्टिसिपेंट्स की फिजिकल के एक्टिविटी का तीन महीने तक एक्सेलेरोमीटर से रेगुलर आकलन किया गया. पूर्व की स्टडीज में एक्टिविटी को आमतौर पर शुरुआत और अंत केवल कुछ दिनों के लिए आकलित (assessed) किया जाता था.इससे लंबी समयावधि में वास्तविक व्यवहार परिवर्तनों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना संभव हो जाता है,’

स्टडी में क्या निकला
रिसर्चर्स ने पाया कि  इंटरवेंशन ग्रुप के हल्के और मध्यम-तीव्रता वाली फिजिकल एक्टिविटी की मात्रा में वृद्धि करके, प्रति दिन औसतन 50 मिनट तक नॉन-एक्टिव टाइम को कम करने में कामयाब रहा. तीन महीने की अवधि में, रिसर्चर्स ने इंटरवेंशन ग्रुप में ब्लड शुगर रेगुलेशन, इंसुलिन संवेदनशीलता और लिवर की सेहत से संबंधित स्वास्थ्य परिणामों में लाभ देखा.

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इस स्टडी का निष्कर्ष ‘साइंस एंड मेडिसिन इन स्पोर्ट्स’ नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.

Tags: Health, Health News, Lifestyle

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